Tuesday, September 21, 2010

बेक़रार ...

धड़कन थम जाती है, नाम तेरा जो आता है,
दिल बेकरार हो जाता है,  ख़याल तेरा जब आता है,
होंठ  तरसते हैं  छूने को, दीदार तेरा जब होता है
तरसते है सकूं को सपनो में भी, तू जो हर दम चला जाता है....

आता नहीं समझ अब,  जायें तो कहाँ जायें ?
जिधर ना तू ना ही तेरी यादें हमे सताएं .....

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