काश कह सकते हम , की वो चाहते हमे हैं , ख़्वाबों में सजातें हमे हैं ,
मगर हकीकत तो ये है ,
न तो वो चाहते हमे हैं , ना ही हम उनके सपने सजाते हैं ,
हम तो मुस्कान देख उनकी , ख्वाबों की दुनिया में बस मिल आते उन्हें है ,
फिर सपनो की दुनिया सजाते खुद ही हैं....
No comments:
Post a Comment