इंतज़ार रुलाता है , तकरार भी रुलाती है,
चाहते तो सिर्फ प्यार हैं ,
मगर तेरी हर बात हंसती है , फिर रुलाती है ...
दूर जाना चाहें तो जायें कैसे ? तेरी हर बात हमे वापिस खिंच के ले आती है ...
वफ़ा की उम्मीद कैसी हमसे ? तुमने जब दिल दिया ही नहीं ,
जान कर इस दिल की बातें , कुछ जब तुमने कहा ही नहीं ..
खिलौना बना कर कुछ देर खेला इस दिल से ,
अब जाते - जाते कह गए , हम ही उस दिल के काबिल नहीं !!....