Friday, April 23, 2010

ख्वाब


ख्वाब हवा के झोंकों पर बैठ कर आते हैं ,
फिर पानी के बुल्बुल्ले जैसे टूट जाते हैं,
खुशनसीब है वो जो इन्हें हकीकत में बदल देते है,
होंसले और जिद के दम पर
तकदीर अपनी बना लेते हैं I
हमने तो खवाबों को समेटना छोड़ दिया है
टूट न जाये इस डर से आँखों को बंद करना छोड़ दिया है
टूटे ख्वाबों का बोझ अब उठाया नहीं जाता
हर ख्वाब हकीकत नहीं होगा, बार-बार दिल को समझाया नहीं जाता I

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