Sunday, April 25, 2010

खोज....


लोग धुप-छाव के जैसे ज़िन्दगी में आते-जाते हैं,
कुछ दिल को कुरेदते, कुछ मुस्कान दे जाते हैं,
दिलों को रोंदने वालों से डर लगता है,
जो शख्स प्यार की छाप छोड़ जायें मन उसको तलाश्ता है I

क्या ज़िन्दगी इसी खोज में कट जाएगी?
यह तलाश कभी क्या खतम हो पायेगी?
मिलेगा क्या कोई, इस दिल को समझने वाला?
प्यार की बातोँ से दिल को सहलाने वाला I

जो कडकती धुप को छाँव कर दे,
रात को दिन, और दिन को रात कर दे,
ऐसे शख्स को नज़रें खोजती रहती हैं
दिल को सकूं मिले , हर दम इसी कोशिश में लगी रहती हैं
रह-रह कर दिल से आह की आवाज सुनाई देती है
यह आह पहूंचे उस दिल तक अब तो यही कोशिश रहती है ....


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